मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश १ नवंबर, २००० तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बडा राज्य था। इस दिन एवं मध्यप्रदेश के कई नगर उस से हटा कर छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यो की सीमाओ से मिलती है| इसके उत्तर मे उत्तर प्रदेश, पूर्व मे छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम मे गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम मे राजस्थान है |
मध्यप्रदेश की संस्कृति विविधवर्णी है। गुजरात, महाराष्ट्र अथवा उड़ीसा की तरह इस प्रदेश को किसी भाषाई संस्कृति में नहीं पहचाना जाता। मध्यप्रदेश विभिन्न लोक और जनजातीय संस्कृतियों का समागम है। यहाँ कोई एक लोक संस्कृति नहीं है। यहाँ एक तरफ़ पाँच लोक संस्कृतियों का समावेशी संसार है, तो दूसरी ओर अनेक जनजातियों की आदिम संस्कृति का विस्तृत फलक पसरा है।
निष्कर्षत: मध्यप्रदेश पाँच सांस्कृतिक क्षेत्र निमाड़, मालवा, बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड और ग्वालियर और धार-झाबुआ, मंडला-बालाघाट, छिन्दवाड़ा, होशंगाबाद्, खण्डवा-बुरहानपुर, बैतूल, रीवा-सीधी, शहडोल आदि जनजातीय क्षेत्रों में विभक्त है।
देशांतर -74°9' पूर्वीदेशांतर से 82°48' पूर्वीदेशांतर
मध्य प्रदेश में नर्मदा महाकाल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से, चम्बल महु के पास जानापाओ पर्वत से, ताप्ती नदी बेतुल के मुलताई से निकलती है एवं माही ग्वालियर के समीप दक्षिणी अरावली में जयसमन्द झील से प्रारम्भ होती है। । इन में नर्मदा, ताप्ती एवं माही भारत की उन नदियों में समाविष्ट है जो पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती हैं। मध्य प्रदेश की भौगोलिक विशेषता यह भी है की कर्क रेखा १४ जिलो से होकर जाती है।
अनुक्रम
विवरण
भारत की संस्कृति में मध्यप्रदेश जगमगाते दीपक के समान है, जिसकी रोशनी की सर्वथा अलग प्रभा और प्रभाव है। यह विभिन्न संस्कृतियों की अनेकता में एकता का जैसे आकर्षक गुलदस्ता है, मध्यप्रदेश, जिसे प्रकृति ने राष्ट्र की वेदी पर जैसे अपने हाथों से सजाकर रख दिया है, जिसका सतरंगी सौन्दर्य और मनमोहक सुगन्ध चारों ओर फैल रहे हैं। यहाँ के जनपदों की आबोहवा में कला, साहित्य और संस्कृति की मधुमयी सुवास तैरती रहती है। यहाँ के लोक समूहों और जनजाति समूहों में प्रतिदिन नृत्य, संगीत, गीत की रसधारा सहज रुप से फूटती रहती है। यहाँ का हर दिन पर्व की तरह आता है और जीवन में आनन्द रस घोलकर स्मृति के रुप में चला जाता है। इस प्रदेश के तुंग-उतुंग शैल शिखर विन्ध्य-सतपुड़ा, मैकल-कैमूर की उपत्यिकाओं के अन्तर से गूँजते अनेक पौराणिक आख्यान और नर्मदा, सोन, सिन्ध, चम्बल, बेतवा, केन, धसान, तवा नदी, ताप्ती, शिप्रा, काली सिंध आदि सर-सरिताओं के उद्गम और मिलन की मिथकथाओं से फूटती सहस्त्र धाराएँ यहाँ के जीवन को आप्लावित ही नहीं करतीं, बल्कि परितृप्त भी करती हैं।संस्कृति संगम
मध्यप्रदेश में पाँच लोक संस्कृतियों का समावेशी संसार है। ये पाँच साँस्कृतिक क्षेत्र है-- निमाड़
- मालवा
- बुन्देलखण्ड
- बघेलखण्ड
- ग्वालियर (चंबल)
मध्यप्रदेश की संस्कृति विविधवर्णी है। गुजरात, महाराष्ट्र अथवा उड़ीसा की तरह इस प्रदेश को किसी भाषाई संस्कृति में नहीं पहचाना जाता। मध्यप्रदेश विभिन्न लोक और जनजातीय संस्कृतियों का समागम है। यहाँ कोई एक लोक संस्कृति नहीं है। यहाँ एक तरफ़ पाँच लोक संस्कृतियों का समावेशी संसार है, तो दूसरी ओर अनेक जनजातियों की आदिम संस्कृति का विस्तृत फलक पसरा है।
निष्कर्षत: मध्यप्रदेश पाँच सांस्कृतिक क्षेत्र निमाड़, मालवा, बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड और ग्वालियर और धार-झाबुआ, मंडला-बालाघाट, छिन्दवाड़ा, होशंगाबाद्, खण्डवा-बुरहानपुर, बैतूल, रीवा-सीधी, शहडोल आदि जनजातीय क्षेत्रों में विभक्त है।
निमाड़
मुख्य लेख : निमाड़
निमाड़ मध्यप्रदेश के पश्चिमी अंचल में अवस्थित है। अगर इसके भौगोलिक
सीमाओं पर एक दृष्टि डालें तो यह पता चला है कि निमाड़ के एक ओर विन्ध्य की
उतुंग शैल श्रृंखला और दूसरी तरफ़ सतपुड़ा की सात उपत्यिकाएँ हैं, जबकि
मध्य में है नर्मदा की अजस्त्र जलधारा। पौराणिक काल में निमाड़ अनूप जनपद कहलाता था। बाद में इसे निमाड़ की संज्ञा दी गयी। फिर इसे पूर्वी और पश्चिमी निमाड़ के रुप में जाना जाने लगामालवा
मुख्य लेख : मालवा
मालवा महाकवि कालीदास
की धरती है। यहाँ की धरती हरी-भरी, धन-धान्य से भरपूर रही है। यहाँ के
लोगों ने कभी भी अकाल को नहीं देखा। विन्ध्याचल के पठार पर प्रसरित मालवा
की भूमि सस्य, श्यामल, सुन्दर और उर्वर तो है ही, यहाँ की धरती पश्चिम भारत
की सबसे अधिक स्वर्णमयी और गौरवमयी भूमि रही है।बुंदेलखंड
मुख्य लेख : बुंदेलखंड
एक प्रचलित अवधारणा के अनुसार "वह क्षेत्र जो उत्तर में यमुना, दक्षिण में विंध्य प्लेटों की श्रेणियों, उत्तर-पश्चिम में चंबल और दक्षिण पूर्व में पन्ना, अजमगढ़ श्रेणियों से घिरा हुआ है, बुंदेलखंड के नाम से जाना जाता है। इसमें उत्तर प्रदेश के चार जिले- जालौन, झाँसी, हमीरपुर और बाँदा तथा मध्यप्रेदश के पाच जिले- सागर, दतिया, टीकमगढ़, छतरपुर और पन्ना के अलावा उत्तर-पश्चिम में चंबल नदी तक प्रसरित विस्तृत प्रदेश का नाम था।" कनिंघम ने "बुंदेलखंड के अधिकतम विस्तार के समय इसमें गंगा और यमुना का समस्त दक्षिणी प्रदेश जो पश्चिम में बेतवा नदी से पूर्व में चन्देरी और सागर के जिलों सहित विंध्यवासिनी देवी के मन्दिर तक तथा दक्षिण में नर्मदा नदी के मुहाने के निकट बिल्हारी तक प्रसरित था", माना है।बघेलखण्ड
मुख्य लेख : बघेलखण्ड
बघेलखण्ड की धरती का सम्बन्ध अति प्राचीन भारतीय संस्कृति से रहा है। यह भू-भाग रामायणकाल में कोसल प्रान्त के अन्तर्गत था। महाभारत
के काल में विराटनगर बघेलखण्ड की भूमि पर था, जो आजकल सोहागपुर के नाम से
जाना जाता है। भगवान राम की वनगमन यात्रा इसी क्षेत्र से हुई थी। यहाँ के
लोगों में शिव, शाक्त और वैष्णव सम्प्रदाय की परम्परा विद्यमान है। यहाँ
नाथपंथी योगियो का खासा प्रभाव है। कबीर पंथ का प्रभाव भी सर्वाधिक है।
महात्मा कबीरदास के अनुयायी धर्मदास बाँदवगढ़ के निवासी थी।ग्वालियर
मुख्य लेख : ग्वालियर
मध्यप्रदेश का चंबल क्षेत्र भारत का वह मध्य भाग है, जहाँ भारतीय इतिहास
की अनेक महत्त्वपूर्ण गतिविधियां घटित हुई हैं। इस क्षेत्र का
सांस्कृतिक-आर्थिके केंद्र ग्वालियर शहर है। सांस्कृतिक रुप से भी यहाँ
अनेक संस्कृतियों का आवागमन और संगम हुआ है। राजनीतिक घटनाओं का भी यह
क्षेत्र हर समय केन्द्र रहा है। १८५७ का पहला स्वतंत्रता संग्राम झाँसी की
वीरांगना रानी महारानी लक्ष्मीबाई ने इसी भूमि पर लड़ा था। सांस्कृतिक
गतिविधियों का केन्द्र ग्वालियर अंचल संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, चित्रकला
अथवा लोकचित्र कला हो या फिर साहित्य, लोक साहित्य की कोई विधा हो,
ग्वालियर अंचल में एक विशिष्ट संस्कृति के साथ नवजीवन पाती रही है।
ग्वालियर क्षेत्र की यही सांस्कृतिक हलचल उसकी पहचान और प्रतिष्ठा बनाने
में सक्षम रही है।जिले
मध्य प्रदेश राज्य मे कुल 51 जिले हैं, जो निम्नानुसार हैं -- इंदौर जिला
- अलीराजपुर जिला
- खरगोन जिला
- खण्डवा जिला
- उज्जैन जिला
- छिन्दवाड़ा जिला
- जबलपुर जिला
- झाबुआ जिला
- टीकमगढ़ जिला
- दतिया जिला
- दमोह जिला
- देवास जिला
- धार जिला
- डिंडोरी जिला
- नरसिंहपुर जिला
- नीमच जिला
- पन्ना जिला
- बड़वानी जिला
- बालाघाट जिला
- बेतूल जिला
- बुरहानपुर जिला
- भिंड जिला
- भोपाल जिला
- मंडला जिला
- मंदसौर जिला
- मुरैना जिला
- रतलाम जिला
- रीवा जिला
- राजगढ़ जिला
- रायसेन जिला
- विदिशा जिला
- सागर जिला
- सीधी जिला
- सिंगरौली जिला
- सिवनी जिला
- सिहोर जिला
- सतना जिला
- शाहडोल जिला
- श्योपुर जिला
- शिवपुरी जिला
- शाजापुर जिला
- हरदा जिला
- होशंगाबाद जिला
- छतरपुर जिला
- उमरिया जिला
- अनुपपुर जिला
- गुना जिला
- अशोकनगर जिला
- ग्वालियर जिला
- कटनी जिला
- आगर मालवा
भूगोल
अक्षांश -21°6' उत्तरीअक्षांश से 26°30'उत्तरीअक्षांशदेशांतर -74°9' पूर्वीदेशांतर से 82°48' पूर्वीदेशांतर
मध्य प्रदेश में नर्मदा महाकाल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से, चम्बल महु के पास जानापाओ पर्वत से, ताप्ती नदी बेतुल के मुलताई से निकलती है एवं माही ग्वालियर के समीप दक्षिणी अरावली में जयसमन्द झील से प्रारम्भ होती है। । इन में नर्मदा, ताप्ती एवं माही भारत की उन नदियों में समाविष्ट है जो पूर्व से पश्चिम की तरफ बहती हैं। मध्य प्रदेश की भौगोलिक विशेषता यह भी है की कर्क रेखा १४ जिलो से होकर जाती है।
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